What is Max pain in future and option: ट्रेडिंग में मैक्स पेन का उपयोग

भारतीय शेयर बाजार में ऑप्शन ट्रेडिंग एक बहुत ही लोकप्रिय और प्रभावी ट्रेडिंग साधन है, जिसका उपयोग ट्रेडर्स अल्पकालिक और दीर्घकालिक लाभ प्राप्त करने के लिए करते हैं। ऑप्शन ट्रेडिंग में ट्रेडर्स विभिन्न स्ट्राइक प्राइस पर कॉल और पुट ऑप्शन्स खरीदते और बेचते हैं, और उनके द्वारा लिए गए निर्णय बाजार की दिशा पर आधारित होते हैं। इस प्रक्रिया में “मैक्स पेन” एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जो ट्रेडर्स को बाजार की दिशा और ऑप्शन की संभावित एक्सपायरी मूल्य की भविष्यवाणी करने में मदद करता है।

मैक्स पेन (Max Pain) का सिद्धांत क्या है?

What is Max pain in future and option मैक्स पेन वह स्ट्राइक प्राइस है जहां सबसे अधिक ऑप्शन खरीदार और विक्रेता नुकसान उठाते हैं। ऑप्शन एक्सपायरी के समय, यह बाजार उस कीमत की ओर झुकता है जहां ऑप्शन धारक अधिकतम दर्द या नुकसान का सामना करते हैं। इसका आधार यह है कि ऑप्शन के बड़े खिलाड़ी (जिन्हें मार्केट मेकर्स भी कहा जाता है) अपने फायदे के लिए बाजार को इस तरह से दिशा देते हैं कि अधिकतम ऑप्शन धारक हानि उठाएं। इस प्रक्रिया में, वे बाजार की दिशा और ऑप्शन की कीमतों को प्रभावित करते हैं।

मैक्स पेन का सिद्धांत इस धारणा पर आधारित है कि अधिकांश ऑप्शन ट्रेडर्स, खासकर खुदरा निवेशक, अपनी पोजीशन्स से मुनाफा कमाने में असमर्थ रहते हैं। इसीलिए, जब ऑप्शन एक्सपायरी के समय बाजार मैक्स पेन पर पहुंचता है, तो अधिकतम पोजीशन्स का नुकसान हो जाता है, और बाजार इस स्तर पर स्थिर हो जाता है।

मैक्स पेन की गणना कैसे की जाती है?

मैक्स पेन की गणना के लिए ऑप्शन चेन डेटा का विश्लेषण किया जाता है। ऑप्शन चेन में अलग-अलग स्ट्राइक प्राइसेस पर कॉल और पुट ऑप्शन्स के ओपन इंटरेस्ट (OI) की जानकारी होती है। ओपन इंटरेस्ट से पता चलता है कि कितने कॉन्ट्रैक्ट्स उस विशेष स्ट्राइक प्राइस पर खुले हैं। मैक्स पेन की गणना में इन चरणों का पालन किया जाता है:

  1. ओपन इंटरेस्ट का विश्लेषण: ऑप्शन चेन से सभी स्ट्राइक प्राइसेस पर कॉल और पुट ऑप्शन्स के ओपन इंटरेस्ट को इकट्ठा किया जाता है।
  2. लॉस की गणना: प्रत्येक स्ट्राइक प्राइस पर कॉल और पुट धारकों के नुकसान की गणना की जाती है। यह नुकसान इस आधार पर होता है कि ऑप्शन एक्सपायरी के समय स्ट्राइक प्राइस के कितने करीब है। उदाहरण के लिए, यदि किसी स्ट्राइक प्राइस पर ओपन इंटरेस्ट अधिक है और बाजार उस स्ट्राइक प्राइस से दूर चला जाता है, तो उस स्ट्राइक प्राइस पर अधिकतम नुकसान होगा।
  3. कुल नुकसान का योग: सभी स्ट्राइक प्राइसेस पर कॉल और पुट ऑप्शन्स के नुकसान का कुल योग निकाला जाता है। यह देखा जाता है कि किस स्ट्राइक प्राइस पर कुल नुकसान सबसे अधिक होता है।
  4. मैक्स पेन का निर्धारण: वह स्ट्राइक प्राइस जिसे पर कुल नुकसान सबसे अधिक होता है, उसे मैक्स पेन कहा जाता है।
What is Max pain in future and option

मैक्स पेन का उदाहरण

मान लीजिए कि Nifty 50 इंडेक्स पर ऑप्शन ट्रेडिंग हो रही है और मौजूदा कीमत 19,800 है। विभिन्न स्ट्राइक प्राइसेस पर ओपन इंटरेस्ट निम्नलिखित है:

  • 19,700: कॉल ऑप्शन का ओपन इंटरेस्ट 10,000, पुट ऑप्शन का ओपन इंटरेस्ट 8,000
  • 19,800: कॉल ऑप्शन का ओपन इंटरेस्ट 15,000, पुट ऑप्शन का ओपन इंटरेस्ट 10,000
  • 19,900: कॉल ऑप्शन का ओपन इंटरेस्ट 8,000, पुट ऑप्शन का ओपन इंटरेस्ट 12,000

अब हम इस डेटा का विश्लेषण करते हैं:

  1. 19,700 स्ट्राइक प्राइस: यदि बाजार 19,700 पर बंद होता है, तो 19,800 और 19,900 पर ओपन पोजीशन्स को नुकसान होगा। 19,700 पर पुट धारक मुनाफे में रहेंगे, जबकि 19,800 और 19,900 पर कॉल धारक हानि उठाएंगे।
  2. 19,800 स्ट्राइक प्राइस: यह मौजूदा बाजार मूल्य के करीब है, और यहां कॉल और पुट धारकों का नुकसान न्यूनतम होगा। लेकिन, अगर बाजार 19,800 पर एक्सपायर होता है, तो दोनों तरफ के ट्रेडर्स को संतुलित नुकसान होगा।
  3. 19,900 स्ट्राइक प्राइस: अगर बाजार 19,900 तक बढ़ता है, तो 19,700 और 19,800 पर कॉल धारकों को नुकसान होगा और पुट धारकों को भी हानि होगी।

इस डेटा से यह स्पष्ट है कि 19,800 स्ट्राइक प्राइस पर सबसे अधिक संतुलित नुकसान है, इसलिए इसे मैक्स पेन के रूप में माना जाएगा।

ऑप्शन ट्रेडिंग में मैक्स पेन का उपयोग

मैक्स पेन ऑप्शन ट्रेडर्स के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक है, जिसका उपयोग बाजार की दिशा और संभावित एक्सपायरी मूल्य की भविष्यवाणी के लिए किया जा सकता है। आइए देखें कि कैसे इसका प्रभावी उपयोग किया जा सकता है:

  1. मार्केट ट्रेंड की पहचान: मैक्स पेन का उपयोग करके ट्रेडर्स यह समझ सकते हैं कि ऑप्शन एक्सपायरी के समय बाजार किस दिशा में जा सकता है। उदाहरण के लिए, अगर मौजूदा बाजार मूल्य मैक्स पेन से ऊपर है, तो यह संभावना हो सकती है कि बाजार नीचे की ओर जा सकता है ताकि ऑप्शन धारकों को अधिक नुकसान हो। इसी प्रकार, अगर बाजार मैक्स पेन से नीचे है, तो यह ऊपर की ओर बढ़ सकता है।
  2. सही ट्रेडिंग रणनीतियाँ बनाना: ट्रेडर्स मैक्स पेन के आधार पर अपनी ट्रेडिंग रणनीतियाँ तय कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर बाजार मैक्स पेन के करीब पहुंच रहा है, तो ट्रेडर्स “स्टैड्ल” या “स्टैंगल” जैसी रणनीतियाँ अपना सकते हैं, जिसमें दोनों दिशा में ट्रेड लेकर मुनाफा कमाने की कोशिश की जाती है। स्टैड्ल रणनीति में एक ही स्ट्राइक प्राइस पर कॉल और पुट दोनों खरीदे जाते हैं, जबकि स्टैंगल में अलग-अलग स्ट्राइक प्राइसेस पर कॉल और पुट खरीदे जाते हैं।
  3. रिस्क मैनेजमेंट: मैक्स पेन का उपयोग ट्रेडर्स को अपने जोखिम को प्रबंधित करने में भी मदद करता है। अगर कोई ट्रेडर जानता है कि बाजार किस ओर झुक सकता है, तो वह अपनी पोजीशंस को उसी हिसाब से एडजस्ट कर सकता है। उदाहरण के लिए, अगर बाजार मैक्स पेन के करीब पहुंच रहा है और संभावना है कि एक्सपायरी उसी स्ट्राइक प्राइस पर होगी, तो ट्रेडर अपनी पोजीशंस को समय रहते एडजस्ट कर सकता है ताकि नुकसान को कम किया जा सके।
  4. रिवर्सल की संभावना: मैक्स पेन का उपयोग यह अनुमान लगाने के लिए भी किया जा सकता है कि बाजार में कब रिवर्सल आ सकता है। अगर बाजार लंबे समय तक एक दिशा में जा रहा है और मैक्स पेन से काफी दूर है, तो यह संकेत हो सकता है कि एक्सपायरी से पहले बाजार वापस मुड़ सकता है और मैक्स पेन के करीब आ सकता है।

ऑप्शन ट्रेडिंग में सावधानी

हालांकि मैक्स पेन एक महत्वपूर्ण संकेतक है, लेकिन इसे एकमात्र आधार पर ट्रेडिंग निर्णय नहीं लेना चाहिए। इसे अन्य तकनीकी संकेतकों और बाजार की स्थिति के साथ मिलाकर उपयोग करना चाहिए। बाजार में कई अन्य कारक भी होते हैं, जैसे कि समाचार, इवेंट्स, और आर्थिक डेटा, जो बाजार की दिशा को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, मैक्स पेन को केवल एक सहायता के रूप में उपयोग करें, न कि एकमात्र निर्णय लेने वाले उपकरण के रूप में।

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